दंदरौआ धाम का इतिहास और वास्तुकला
यहाँ हनुमान जी की मूर्ति नृत्य मुद्रा में स्थापित है। यह देश की अकेली ऐसी मूर्ति है, जिसमें हनुमान जी को नृत्य करते हुए दिखाया गया है। मान्यता है की 300 साल पहले हनुमानजी की यह मूर्ति नीम के पेड़ से छिपी थी। पेड़ को काटने पर गोपी वेषधारी हनुमान जी की ये प्राचीन मूर्ति प्राप्त हुई थीं। श्रद्धालुओं का दर्द दूर करने वाले हनुमान जी को पहले दंदरौआ कहा जाने लगा। माना जाता है कि रोगों के लिए हनुमान जी की भभूत कारगर है। विशेष रूप में फोड़ा, अल्सर और कैंसर जैसी बीमारियां भी मंदिर की पांच परिक्रमा करने पर ठीक हो जाती हैं। यहां डॉक्टर हनुमान के पास अच्छी सेहत की उम्मीद लेकर लाखों श्रद्धालु जुटते है।
मान्यता है कि एक साधु जिनका नाम शिवकुमार दास था वह लंबे समय से कैंसर की समस्या से पीड़ित थे। हनुमान जी ने उसमे मंदिर में डॉक्टर के वेश में दर्शन दिए थे इस रूप में हनुमान जी ने गले में आला यानी स्टेथोस्कोप डाला हुआ था। भगवान हनुमान के इस रूप के दर्शन करने के बाद वह साधु पूरी तरह स्वस्थ हो गया। तभी से यह मंदिर डॉक्टर हनुमान मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।