इस पोस्ट में हम आपको कबीर दास जी की बहुत ही महत्वपूर्ण दोहा “दुःख में सुमिरन सब करे” का अर्थ हिंदी में बताये हैं और सही इसके शब्दों के अर्थ भी समझाए हैं. इसके अलावा अंत में एक इस वाणी से जुड़ी छोटी सी कहानी भी दिए हैं ताकि आप इस दोहे को अच्छी तरह से समझ सको.
Dukh Me Sumiran Sab Kare
दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥

Dukh me sumiran sab kare, Sukh me kare na koi
Jo sukh sumiran kare, Dukh kahe ko hoye kabi.
Dukh Me Sumiran Sab Kare Meaning in Hindi
अर्थात: कबीर दास जी इस दोहे में कहते हैं की दुःख, विपत्ति कष्ट के समय में प्रत्येक मनुष्य ईश्वर को स्मरण करता है ताकि ईश्वर उसके दुखों को दूर कर दे, लेकिन प्रमोद, उल्लास सुख के समय में सब ईश्वर को स्मरण करना भूल जाते हैं. अगर सुख के समय में भी इश्वर को स्मरण किया जाये तो दुःख कभी आएगी ही नहीं.
Dukh Me Sumiran Sab Kare Meaning in Englsih
Kabir Das ji says in this couplet that in times of sorrow and distress, every person remembers God so that God can remove his sorrows, but in times of joy and happiness, everyone forgets to remember God. If God is remembered even in happy times, sadness will never come.