शेर कैसे बना मां दुर्गा का वाहन? | Sher Kaise Bana Durga Mata Ki Swari



Sher Kaise Bana Durga Mata Ki Swari

Sher Kaise Bana Durga Mata Ki Swari



जय माँ दुर्गा जैसा की आप लोगों को पता ही है की दुर्गा माता की सवारी शेर है. मगर क्या आप जानना चाहेंगे की दुर्गा माता का वाहन शेर क्यों बना? यदि आप इस पौराणिक कथा को जानने की इच्छा है तो हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको बताएँगे की माँ दुर्गा क्यों शेर की सवारी करती है और देवी माता का वाहन शेर ही क्यों बना.

आपको पता होगा की दुर्गा माता के कई रूप हैं उनमें से एक रूप पार्वती का भी है. देवी पार्वती बचपन से ही शिव भक्त थी और शिव जी को अपना पति मानती थी. वो शिव जी को पाने के लिए हमेशा तपस्या में लीन रहती थी.

जब देवी पार्वती गहरी तपस्या में लीन थी, उस समय भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर वहां प्रकट हुए और माता पार्वती को अपना मनचाहा वरदान दिया. उसके बाद शिव पार्वती का विवाह हो गया.

एक दिन भगवान शिव और देवी पार्वती कैलाश पर्वत पर बैठकर मजाक कर रहे थे, उसी बीच शिव जी ने माता पार्वती को सांवली कह दिया. क्योंकि देवी पार्वती ने शिव भगवान को पति के रूप में पाने के लिए बर्षो तक कठोर तपस्या की थी. इस कठिन तपस्या में काफी समय तक लीन रहने से देवी पार्वती का रंग सांवला हो गया था.

शिव जी के द्वारा पार्वती को सांवली बोलने पर माता को काफी दुःख पहुंचा और उनसे नाराज होकर घने जंगलों में जाकर फिर से तपस्या में लीन हो गयी. जब माता पार्वती तपस्या में लीन थी उस समय एक भूखा शेर उधर से गुजरता है माता को देख कर वो शेर रुक जाता है. देवी को उस शेर ने आपना शिकार बनाने के लिए आगे बढ़ता है.

मगर तपस्या में लीन माता को देखकर शेर वहीं पर बैठ जाता है और वो सिंह माँ पार्वती की तपस्या भंग होने का इंतजार करने लगा. लेकिन माता का तपस्या कई बर्षो तक चलता रहा तब तक वो शेर आस लगाए वहीं पर बैठा रहा.

तप के कई बर्ष बीत जाने के बाद देवी पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर वहां शिव जी प्रकट हुए और उन्हें गोरा होने का वरदान दिया. वरदान प्राप्त होने के बाद माता पार्वती ने सामने नदी में स्नान किया. स्नान करने के पश्चात उनके शरीर से एक देवी का जन्म हुआ, जिनका नाम माता गौरी पड़ा.

स्नान के बाद देवी पार्वती ने देखा कि एक शेर लगातार उन्हें देख रहा है. देवी को पता चला कि वह शेर उन्हें खाने के लिये सालों से इंतजार कर रहा है. इस बात पर देवी काफी प्रसन्न हुईं. उन्होंने कहा कि जैसे मैंने इतने दिनों तक तपस्या की, ठीक उसी तरह इस शेर ने भी मेरे इंतजार में तपस्या की. उन्होंने शेर को वरदान देते हुए उसे अपना वाहन बना लिया और तभी से माता पार्वती सिंह का सवारी करती हैं.




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