सफलता की अनूठी सीख: सुकरात की दृष्टांत कथा Motivational Story of Socrates in Hindi



इतिहास के पन्नों में विख्यात दार्शनिक सुकरात के अनेक किस्से समाए हुए हैं, मैं उनकी ज्ञानवर्धक बातें और उनके अनुभवों के द्वारा दिए गए पाठ शामिल हैं। ऐसी ही कहानी है, जो सफलता के विषय में हमें अनोखे सीख देती है।

Motivational Story of Socrates in Hindi

बात उन दिनों की है जब सुकरात की ख्याति चारों ओर फैल चुकी थी। उन्हें न केवल एक महान दार्शनिक के रूप में जाना जाता था, बल्कि एक प्रेरणादायक शिक्षक के रूप में भी उनकी पहचान थी। 1 दिन, एक जुबक उनके पास आया और उनसे सफलता का रहस्य जानना चाहा। उससे अगले दिन सुबह नदी के किनारे मिलने को कहा।

जैसे ही अगली सुबह उजाला फैला, युवक नदी के किनारे पहुँच गया। सुकरात ने उसे नदी में उतरने को कहा। जैसे जैसे हुए गहराई में बढ़े, मीठा पानी युवक के कांधों से होते हुए उसके मुँह तक पहुँच गया। कभी सुकरात ने अचानक युवक का सिर पानी में दबा दिया। युवक हाथ पांव मारने लगा और ऑक्सीजन पाने के लिए तड़पने लगा।

कुछ क्षणों के बाद, सुकरात ने उसे छोड़ दिया और युवक छूटते ही तेजी से सांस लेने लगा। उसे सांस लेने के लिए तड़पते देख, सुकरात ने पूछा कि जब तुम पानी के अंदर थे, तो तुम्हें क्या चाहिए था? युवक ने बताया हुआ केवल हवा चाहता था, जिससे वह जीवित रह सके।

सुकरात ने इस पर कहा, यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है। जब तुम सफलता को उतनी ही तीव्र इच्छा से चाहोगे, जितनी तीव्र इच्छा से तुम हवा चाहते थे, तभी तुम्हें सफलता मिलेगी।

इस घटना से सुकरात ने युवक को और सभी को एक महत्वपूर्ण पाठ दिया की सफलता प्राप्ति के लिए जीवन में उसी तरह की दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प की आवश्यकता होती है, जैसे कोई डूबता हुआ व्यक्ति हवा के लिए तड़पता है।

ये कहानी हमें सिखाती हैं की सफलता के लिए केवल इच्छा ही नहीं बल्कि तीव्र इच्छा आवश्यक है। जीवन में जब तक हम किसी चीज़ को पूरी ताकत और समर्पण के साथ नहीं चाहते, तब तक उसे पाना मुश्किल होता है। इसलिए, जीवन में जो कुछ भी चाहो, उसे पूरे हृदय से चाहो और उसके लिए पूरी शक्ति से प्रयास करो।




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