यहाँ हम आपके लिए श्री कृष्ण और राधा का अनोखा झगड़ा बता रहे हैं. जो की होली के अवसर पर हैं. तो आइये न देर करते हुए इस कहानी का लुप्त उठायें।

राधा जी क्यों हुई श्री कृष्ण पर क्रोधित Radha Ji Kyon Hui Shri Krishna Par Krodhit
श्रीकृष्ण की होली की अनोखी शरारत
होली का उल्लास मथुरा और वृंदावन में हर ओर छाया हुआ था। कान्हा अपनी सखाओं के साथ रंगों की तैयारियों में व्यस्त थे। तभी दाऊ (बलराम) वहाँ आ जाते हैं। श्रीकृष्ण उन्हें देखते ही अपने हाथ में पकड़ा मटका तेजी से छुपा लेते हैं। दाऊ मुस्कुराते हुए कहते हैं, “कान्हा, तुम्हारी यह चंचल मुस्कान और छुपाने का प्रयास देख कर मुझे संदेह हो रहा है। अवश्य ही तुम कोई नई शरारत रच रहे हो!”
श्रीकृष्ण शरारती मुस्कान के साथ बिना कुछ कहे अपने मटके को संभालते हुए वहाँ से चले जाते हैं। दाऊ उन्हें जाते हुए देखकर सिर हिलाते हैं और मन ही मन सोचते हैं, “अब कोई न कोई लीला अवश्य होने वाली है।”
राधा रानी के कक्ष में श्रीकृष्ण की शरारत
रात्रि के गहन अंधकार में जब सभी विश्राम कर रहे थे, तब श्रीकृष्ण अपने मटके में रंग लिए चुपचाप राधा रानी के कक्ष में पहुँचे। राधा गहरी निद्रा में थीं, उनकी मासूमियत और सौम्यता को निहारकर कान्हा के होंठों पर मंद मुस्कान खेल उठी। धीरे-धीरे उन्होंने अपने हाथों में भरे रंग को राधा रानी के मुख पर लगा दिया।
राधा रानी के मुखमंडल पर रंगों की आभा बिखर गई। श्रीकृष्ण ने मंद स्वर में कहा, “राधे, होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!” और फिर वे तुरंत वहाँ से चले गए।
प्रातःकाल का आश्चर्य
भोर होते ही राधा की माता ने उन्हें जगाने का प्रयास किया, परंतु गहरी नींद में होने के कारण राधा रानी जागने का नाम नहीं ले रही थीं। अंततः जब उनकी माता ने उन्हें उठाया, तो बिना कुछ देखे-सुने राधा सीधा दरबार की ओर चल पड़ीं।
रास्ते में जो भी उन्हें देखता, हँसी रोक नहीं पाता। लोग आपस में कानाफूसी करने लगे, कुछ मुस्कुरा रहे थे तो कुछ खुलकर ठहाके लगा रहे थे। राधा को यह सब अजीब तो लग रहा था, परंतु उन्होंने इसकी ओर ध्यान नहीं दिया और दरबार में प्रवेश कर गईं।
दरबार में हास्य और आश्चर्य
दरबार में पहुँचते ही जब दाऊ ने सभी को हँसते हुए देखा, तो वे चकित होकर बोले, “अरे, यह सब किस बात पर इतना हँस रहे हैं?”
तभी सामने से राधा रानी गर्वीले कदमों से सभा में प्रवेश करती हैं। दाऊ जैसे ही उनकी ओर देखते हैं, उनकी भी हँसी छूट जाती है। चंद्रावली और अन्य सखाएँ उन्हें रोकने का प्रयास करती हैं, पर राधा रानी पूरे आत्मविश्वास के साथ सभा की कार्यवाही आरंभ करने का आदेश दे देती हैं।
राधा रानी का क्रोध
इसी बीच, एक सेवक अय्यां शीशा लेकर आता है और विनम्रतापूर्वक राधा रानी के सामने प्रस्तुत करता है। राधा जैसे ही शीशे में अपना मुख देखती हैं, उनकी आँखें आश्चर्य और क्रोध से फैल जाती हैं। उनके चेहरे पर गहरे लाल, नीले और गुलाबी रंग फैले हुए थे, जो स्पष्ट रूप से श्रीकृष्ण की शरारत का परिणाम थे।
राधा रानी तुरंत क्रोधित होकर श्रीकृष्ण की ओर देखती हैं। कान्हा पास ही खड़े मंद मुस्कान के साथ उन्हें देख रहे थे। उनकी शरारती आँखों में नटखटपन झलक रहा था।
राधा समझ गईं कि यह सब श्रीकृष्ण की लीला थी। सभा में चारों ओर हँसी-ठिठोली गूँज उठी, और श्रीकृष्ण अपनी जीत की मुस्कान के साथ खड़े रहे। यही तो प्रेम था, जहाँ शरारत में भी मिठास थी, जहाँ नाराजगी में भी मुस्कान थी!
Shri Krishna Hindi Bhajans:
- जय श्री श्याम जय मोरवीनंदन Shree Khatushyam Stuti
- तू सुमिरन कर Tu Sumiran Kar Tere Kasht Mit Jayenge
- राधारमणं हरे हरे Radha Ramanam Hare Hare
- बन बैठा बंजारा तेरे प्यार में Banjara
- श्याम का नाम जपता जा Shyam Ka Naam Japta Ja
- तेरे नाम के पागल है Tere Naam Ke Pagal Hain
- करुणा करो कष्ट हरो ज्ञान दो भगवन Karuna Karo Kasht Haro Gyan Do Bhagwan
- हारे के सहारे आजा तेरा दास पुकारे आजा Hare Ke Sahare Aaj
- मैंने मुश्किल में बस आपको पुकारा है Maine Mushkil Me Bas Aapko Pukara Hai
- आयो सांवरियो सरकार लीले पे चढ़ के Aayo Sawariyo Sarkar
- जब गिरते हुए मैंने तेरा नाम लिया है Jab Girte Hue Maine Tera Naam Liya Hai
- श्याम बाबा को श्रृंगार मन भावे Shyam Baba Ko Shringar Man Bhave
- भर दे रे श्याम झोली भर दे Bhar De Re Shyam Jholi Bhar De
- मुझे अपने ही रंग में रंगले मेरे यार सांवरे Mujhe Apne Hi Rang Mein Rang Le