हिंदू धर्म में कई ऐसे उपाय बताए गए हैं जो जीवन की परेशानियों को दूर करने में मदद करते हैं। इन ही में से एक है शमी का पौधा, जिसे शनि देव, भगवान शिव और गणेश जी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि आप भी अपने जीवन में सुख समृद्धि और शांति चाहते हैं, तो शनिवार के दिन शमी के पौधे से जुड़े कुछ खास उपाय अपनाकर अपनी किस्मत बदल सकती हैं।

शमी पौधे की फायदे जानने से पहले आइये जान लेते हैं शमी पौधे की पौराणिक कथा
हिंदू धर्म में शमी पौधे को अत्यंत पवित्र और चमत्कारी माना जाता है। पुराणो और धार्मिक ग्रंथों में इसके कई अद्भुत उल्लेख मिलते हैं। सबसे प्रसिद्ध कथा महाभारत काल से जुड़ी है।
जब पांडवों को बनवास के बाद एक वर्ष के अज्ञातवास की शर्त पूरी करनी थी, तब उन्होंने अपनी अस्त्रशस्त्रों को किसी सुरक्षित स्थान पर छिपाने का निर्णय लिया।
उन्होंने अपने धनुष बाण और अन्य अस्त्रों को एक शमी वृक्ष में छुपाया और उस वृक्ष की पूजा कर प्रार्थना की कि उनके अस्त्र शस्त्र सुरक्षित रहे।
कहा जाता है कि शमी वृक्ष ने पूरे वर्ष उन अस्त्रों की सुरक्षा की और किसी को उनका पता नहीं चला। जब अज्ञातवास पूरा हुआ तो पांडवों ने समी ब्रिज से अपने अस्त्र शस्त्र वापस लिए और महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त की।
इसी कारण शमी वृक्ष को सुरक्षा, विजय और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है।
शमी वृक्ष को घर में रखने के फायदे
हिंदू के पौधे को अत्यंत पवित्र और सौभाग्य दायक माना गया है। विशेष रूप से शनिवार के दिन इसका महत्त्व कई गुना बढ़ जाता है। मान्यता है कि शमी का पौधा न केवल शनिदेव का प्रिय है बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का भी अद्भुत स्रोत है। इससे पूजा में शामिल करने से जीवन के कई कष्ट दूर होने लगते हैं।
शास्त्रों के अनुसार शनिवार को शमी के पत्ते शनि देव को अर्पित करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। जो व्यक्ति ये उपाय श्रद्धा से करता है, उसके जीवन में आ रही कठिनाइयां धीरे धीरे समाप्त होने लगती है। इससे ग्रह बाधाएं शांत होती है और कार्यों में सफलता मिलने लगती है।
शमी का पौधा भगवान शिव भगवान गणेश को भी अत्यंत प्रिय है। शिवपुराण में वर्णित है की रावण ने भगवान शिव की आराधना शमी के पौधे से की थी। वही गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणपति को चढ़ाएं जाने वाली इक्कीस पत्तियों में शमी का पत्ता भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
अगर आप चाहते हैं की आपके घर में हमेशा सकारात्मकता बनी रहे, तो शमी का पौधा घर में प्रवेश द्वार के पास या आंगन में लगाएं। ध्यान रहे की इसे घर के अंदर न लगाएं क्योंकि धार्मिक मात्रा मान्यताओं के अनुसार शमी का पौधा बाहर लगे तो अधिक शुभ फल देता है।
करियर में बार बार रुकावटें आ रही है तो शनिवार के दिन उत्तर पूर्व दिशा में शमी का पौधा लगाएं। स्नान के बाद पौधे की जड़ में तांबे की लोटे से रोली और जल मिलाकर अर्पित करें। इसके साथ साथ “ओम नमः शिवाय” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। इससे नौकरी और व्यापार से जुड़े संकट दूर होते हैं।
जो लोग आर्थिक तंगी से परेशान है, उनके लिए भी इस समय का पौधा बेहद लाभकारी साबित हो सकता है। शनिवार को सुबह समी के पौधे के गमले की सफाई करें और उसकी मिट्टी में एक सुपारी और ₹1 का सिक्का गाड़ दें। ऐसा करने से अनावश्यक खर्चों में कमी आती है और धन आगमन के रास्ते खुलते हैं।
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव को कम करने के लिए शमी के पत्तों का महत्त्व है। को समय के पत्ते लेकर शनिदेव के मंदिर जाएं और उन्हें अर्पित करें। इसके बाद सनी मंत्र “ओम शनी शनिश्चराये नमः” का जाप करें। इससे शनि की पीड़ा में काफी इस राहत मिलती है और जीवन में सुख शांति बढ़ती है।
ध्यान दें कि शमी का पौधा केवल एक धार्मिक प्रति की नहीं बल्कि वास्तु शास्त्र में भी इसे विशेष स्थान दिया गया है। कहा गया है कि शमी का पौधा घर में बुरी शक्तियां का प्रवेश करने से रोकता है और बुरी नजर से भी रक्षा करता है। किसी घर के बाहर मुख्य द्वार के पास लगाना अत्यंत हम शुभ होता है।
शनिवार को समी के पौधे के पास सरसों के तेल का दीपक जलाना अत्यंत मतलब फलदायी माना गया है। इससे ऐसा नहीं देव का आशीर्वाद बना रहता है और जीवन में आने वाली है। संकट और बाधाएं अपनी आप समाप्त होने लगती हैं। दीपक चलाते समय शनी चालीसा का पाठ करना भी अत्यंत शुभ होता है।
अगर आप चाहते है की भगवान शिव और गणेश दोनों की कृपा भी आप पर बनी रहे तो गणेश चतुर्थी और शिवरात्रि के अवसर पर शादमनी के पोतों का रुपया पूजा में जरूर करें। ऐसा करने से जीवन में बुद्धि बल और सौभाग्य तीनो का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शमी का पौधा न केवल धार्मिक दृष्टि से मत बोलना है बल्कि सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का भी प्रतीक है। और विधिपूर्वक शनिवार को इन उपायों को अपनाया जाये तो सनी देव की कृपा अवश्य प्राप्त होती है। जीवन के कष्ट बाधाएं और हार्दिक परेशानियां दूर होने लगती हैं।
शमी और भगवान शनि का संबंध
एक अन्य कथा के अनुसार भगवान शनि का वाहन काला घोड़ा शमी वृक्ष की छाया में विश्राम करता था।
शनीदेव को शमी वृक्ष की छाया प्रिय है। इसीलिए कहा जाता है कि शनिवार के दिन शमी के वृक्ष की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं।
शमी और भगवान शिव की कथा
रावण ने भी भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शमी के पत्तों से पूजा की थी। उसने हजारों वर्षों तक शमी के पत्तों से शिवलिंग का अभिषेक किया था, जिससे भगवान शिव ने उसे महान वरदान दिए।
यही कारण है कि शमी का पत्ता भगवान शिव को अति प्रिय है और शिव पूजा में इसका विशेष स्थान है।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। hindibhajan.in इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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