श्रीकृष्ण के गीता उपदेश पार्ट 1: अर्जुन के संशय से आत्मज्ञान तक का सफर



महाभारत के युद्धभूमि में अर्जुन और श्रीकृष्ण के मध्य हुआ संवाद केवल एक योद्धा की दुविधा ही नहीं, बल्कि घर्म, कर्तव्य और आत्मज्ञान का अमर सन्देश है. जब अर्जुन युद्ध भूमि में अपने सम्बन्धियों को शत्रु के रूप में देखता है, तो वह विचलित हो जाता है भीष्म, आचार्य द्रोण और अन्य परिजनों के प्रति प्रेम और आदर के कारण युद्ध करने से इनकार करता है.

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लेकिन श्रीकृष्ण उसे समझाते हैं की युद्ध केवल शरीर का नाश करता है, आत्मा अमर है. गीता का यह उपदेश अर्जुन को मोह से मुक्त कर उसे कर्तव्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है.

Shri Krishna Ke Bhagavad Geeta Saar Part 1

श्रीकृष्ण के दिव्य ज्ञान और गीता के उपदेशों ने अर्जुन को मानसिक दुर्बलता से मुक्त कर दिया. उन्होंने बताया की युद्ध से भागना कायरता है, और एक क्षत्रिय का धर्म है न्याय और धर्म की रक्षा के लिए युद्ध करना. इस संवाद से गीता का ज्ञान संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणास्रोत बन गया. अंततः अर्जुन ने अपने मोह और भ्रम को त्यागकर अपने कर्तव्य का पालन किया, जो महाभारत का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ.

Krishna Hindi Bhajans:




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