उतराखंड भारत का एक छोटा सा राज्य है यहाँ मंदिरों की भरमार है। जिस कारण उत्तराखंड को देव भूमि भी कहा जाता है। उत्तराखंड के शिव मंदिरों के बारे मैं जानते हैं।

उतराखंड के शिव मंदिर | Shiva Temples in Uttarakhand
1. कैदार नाथ मंदिर (Kedarnath Mandir)- कैदार नाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध मंदिरों मैं एक है। इस मंदिर के दर्शन सिर्फ ग्रिष्म कालीन में ही हो सकता है। क्योंकि सर्दियों में यह मंदिर बर्फ से ढकी रहती है इस लिए मंदिर बंद रहता है। यह मंदिर वास्तविक्त और आध्यात्मिकता का स्वरूप है। मंदिर की प्राचीनता कई साल पुराना माना जाता है। यह भी कहा जाता है की यह मंदिर 400 वर्ष तक बर्फ से ढका रहा। मंदिर की दीवारों और शिखरों पर आज भी हिमयुग के निशान दिखे जाते है। मंदिर के अंदर के हिस्सों पर भी ये निशान पाए जाते है।

केदार नाथ मंदिर में स्थित शिव लिंग 12 जोतिर्लिंगों में एक है।इसे 5 वाँ जोतिर्लिंग कहा जाता है यह मंदिर मंदाकिनी नदी के तट पर 3585 मीटर ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ का शिव लिंग चार हाथ लंबी, डेढ़ हाथ मोटी और 80 फीट ऊँची है। दोपर युग मैं पांडवो ने यहाँ तपस्या की थी कहा जाता है की इस मंदिर की नींव पांडवों ने ही डाली थी।
पांडवो की दृढ़ शक्ति और अइट भक्ति की कहानी इस से मंदिर से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि 8वीं शताब्दी में इस मंदिर की स्थापना आदिके पीछे बनी हुई है इस भव्य मंदिर का शिखर तांबे का बना हुआ है जिस पर सोने का रंग चढ़ा हुआ है। 2013 मैं जो अदभूत बाढ़ आई उसमे सब कुछ छिन्न भिन्न हो गया था, पर यह मंदिर ज्यों काट्यों हो रही।
2 .विश्व नाथ मंदिर (Vishwanath Temple Uttarkashi) – विश्व नाथ मंदिर उतरकाशी मे स्थित है। ऋषिकेश से 155 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर की विचित्र बात यह है कि यहाँ एक त्रिशूल है यह त्रिशूल 26 फीट ऊँची है। त्रिशूल किस धातु की बनी हुई है यह आज तक पता नहीं चल पाया है। त्रिशूल कितनी गहराई तक समाया हुआ है, यह भी आज तक पता नहीं चल पाया है। इस त्रिशूल की सबसे अनोखी बात यह है कि यह एक अंगुली से छूने से भी कंपन होता है।

लेकिन अगर इसे दोनों हाथों से पकड़ कर हिलाया जाए तो यह जरा सा भी नहीं हिलता डुलता है। लोगों का मानना है कि यह त्रिशूल शेष नाग के सिर पर अवस्थित है। इस लिए इसकी गहराई का पता नहीं चल पाया है। इस मंदिर के पास ही यमोत्रि, गंगोत्री बहती है, यहाँ कि प्राकृतिक दृश्य भी देखते ही बनती है। यहाँ शिव के साक्षात दर्शन होते है ऐसा लोगों का मानना है।
उतरकाशी महादेव का प्रिय स्थान है। इस मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चारण किये जाते है जो मन और तन दोनों को ऊर्जा प्रदान करते है। यह मंदिर भी 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है। राजा भागीरथ ने भी यहाँ घोर तपस्या करके वरदान प्राप्त किया था।
3.मध्यमहेश्वर मंदिर (Madmaheshwar Temple) – यह मंदिर पंच केदार मंदिरों में से एक है। पंच केदार मंदिरों मैं इसका स्थान द्वितीय है। यह मंदिर समुद्र से साढे तीन हजार मीटर ऊँचाई पर स्थित है। हिमालय की घाटी के मनसुना घाटी मैं यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर 5000साल पुराना कहा जाता है। इसका निर्माण भी पांडवो दवारा ही किया गया था।

कहा जाता है की पांडवो ने यहाँ कई वर्षो तक तपश्या की और फिर मोक्ष को प्राप्त हुए। केदार नाथ मैं भगवान शिव के पृष्ठ भाग को पूजा की जाती है और यहाँ भगवान शिव की नाभि की पूजा की जाती है। काले पत्थरों से बनी नाभि की आकार की यहाँ पूजा की जाती है। यह मंदिर छ:महीने खुला रहता है और बाकी के छ:महीने भगवान शिव समाधि में चले जाते है।
मध्य महेश्वर मंदिर मंगलवार और शनिवार के दिन ही खुलता है अक्षय तृतीय के दिन ही खोला जाता है। पंच केदार का यहाँ सबसे मुख्य मंदिर है कहा जाता है की जो लोग पाप करते है यहाँ के दर्शन मात्र से ही उनके पाप धूल जाते हैं यहाँ का जल पवित्र है। यहाँ का जल पीने से मोक्ष प्राप्त हो जाता है। नैसर्गिक सुंदरता के करण इसे स्वर्ग का द्वार भी कहा जाता है।
4.रुद्र नाथ मंदिर (Rudranath Mandir) – यह मंदिर पंच केदार के मंदिरो में से एक है। यह मंदिर समुद्र तल से 2290मीटर ऊँचाई पर अवस्तिथ है। यह मंदिर उतराखंड के गढ़ वाल के चामोली जिले में स्थित है। भारत का यह पहला स्थान है जहाँ भगवान शिव के मुख की पूजा की जाती है।प्रकृतिक पाषाण की दुर्लभ मूर्ति एक गुफा के अंदर स्थित है।

मूर्ति की गर्दन भी थोड़ी टेढ़ी है और कितनी गहराई तक अवस्थित है, यह पता नहीं चल पाया है। यह मंदिर भी शीत कालीन ऋतु में बंद रहता है। मंदिर के बंद होने पर भगवान शिव की पूजा गोपेश्वर् में की जाती है। पंच केदार में श्री रुद्र नाथ चतुर्थ केदार के रूप में जाना जाता है। भक्तों के रुद्र नाथ आने पर भगवान शिव को मुख को भव्य दर्शन हो जाते है।
5. तुंग नाथ मंदिर (Tungnath Mandir) – तुंग नाथ मंदिर दुनिया का सबसे ऊँचा मंदिर है। हिमालय की ऊँची चोटी में स्थित तुंग नाथ मंदिर है। 3680मीटर की ऊँचाई पर स्थित है तुंग नाथ मंदिर। तुंग नाथ मंदिर पंच केदार में एक केदार है। यहाँ बारहो महीने आ जा सकते हैं, पर मंदिर के कपाट मई से अक्टूबर तक ही खुलते है। सर्दियों में ये बर्फो से ढकी रहती है।

भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। पौराणिक कथा अनुसार इस मंदिर का निर्माण अपूर्ण और भीम ने महादेव को मनाने के लिए किया था। महानंदा पर्वत में छोटे – छोटे मंदिर है, ये पुराने शैली के बने हुए है जो आदि शंकराचार्य ने बनाए थे। यहाँ एक भैरवनाथ का भी मंदिर है। मंदिर के पीछे एक प्राचीन मंदिर है।
जहाँ पर लोग चुनरी बांध कर मन्नतें,मांगते है। पंचकेदार में टुंगनाथ तृतीया केदार है यहाँ पर भगवान शिव के भुजाओं की आराधना होती है। यह स्थान चोपता में अवस्थित है।
6 कल्पेश्वर महादेव (Kalpeshwar Mahadev Mandir) – पंचकेदार का पांचवा केदार है ये कल्पेश्वर मंदिर । जब गंगा को पृथवी में लाने के लिए भागीरथ ने तपस्या की तब स्वर्ग से गंगा उतरने लगी तो एक भय पैदा हुआ कि गंगा अपने वेग से पाताल लोक जा सकती है तब भगवान शिव ने गंगा को अपने जटाओ में विराजमान किया जिसमें बहकर गंगा पृथ्वी पर आई इन्ही जटाओ की यहाँ पूजा की जाती है कल्पेश्वर यानी कल का ईश्वर।

गढ़वाल में चमोली जिले में उरगां घाटी में स्थित। हिमालय श्रृंखीलाओ में समुद्र तल से 2134मीटर में ऊँचाई में स्थित है। यहाँ एक गुफा में यह शिवालिगं है यहाँ शीतकाल में भी पूजा चलती रहती है।कल्पेश्वर में एक कल्प वृक्ष है जिसके नीचे दुर्वासा ने घोर तपस्या की थी, इसलिए इस स्थान को कल्पेश्वर कहा जाता है।
यह मंदिर एक छोटा मंदिर है पर यह भव्य मंदिर है। मंदिर के दीवारों पर लेख है, पर वह लेख किस भाषा में लिखा है यह पता नहीं चल पाया है। नि:संतान दम्पति को भी यहाँ वरदान मिलता है।
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