भारत में भाई दूज का पर्व हर साल बहुत ही श्रधा पूर्वक मनाया जाता है. इसलिए इस पर्व के बारे में पूरी जानकारी गूगल पर सर्च किया जाता है.
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हम आपकी सुविधा के लिए यहाँ पर इस पावन पर्व के बारे में सारी जानकारियां दी हैं.
भाई दूज का महत्व और इतिहास
भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते में स्नेह और आदर को और मजबूत बनाता है। यह पर्व दीवाली के बाद दूसरे दिन मनाया जाता है, जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुनाजी से मिलने गए थे, और यमुनाजी ने उनका तिलक करके उनका स्वागत किया। इस दिन से ही भाई दूज का त्योहार मनाने की परंपरा शुरू हुई।
भाई दूज 2024 कब है?
इस साल भाई दूज का पर्व 3 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 2 नवंबर की रात 8:22 बजे से शुरू होकर 3 नवंबर की रात 11:06 बजे तक रहेगी।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष भाई दूज पर तिलक का शुभ मुहूर्त सुबह 7:57 बजे से लेकर 9:19 बजे तक है। इसके अलावा, दोपहर का शुभ मुहूर्त 11:45 से 1:30 बजे तक रहेगा। यह समय तिलक करने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि इन समयों में पूजा करने से भाइयों की उम्र लंबी होती है और जीवन में खुशहाली आती है।
भाई दूज पूजा विधि
पूजन सामग्री की तैयारी: भाई दूज के दिन पूजा की थाली में कुमकुम, सिंदूर, फूल, चावल के दाने, सुपारी, पान का पत्ता, चांदी का सिक्का, नारियल, मिठाई, और कलावा रखें। ये सामग्री पूजा में उपयोग की जाती है और भाई दूज का पर्व इसके बिना अधूरा माना जाता है।
भाई का तिलक: शुभ मुहूर्त में बहनें अपने भाइयों का तिलक करती हैं और आरती उतारती हैं। भाई दूज पर तिलक लगाने के दौरान बहनें इस मंत्र का पाठ करती हैं –
“गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें, फूले-फलें।।”
आरती और मिठाई: तिलक के बाद बहनें भाई की आरती उतारती हैं और उन्हें मिठाई खिलाती हैं। इसके बाद भाई अपनी बहनों को उपहार देता है। इस पर्व पर एक-दूसरे के प्रति स्नेह और आभार जताने की परंपरा होती है।
भाई दूज पर पूजा का महत्व
भाई दूज पर पूजा और तिलक का विशेष महत्व होता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि, और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। तिलक करते समय बहनों द्वारा बोला गया मंत्र उनके भाइयों के जीवन में सकारात्मकता और सुरक्षा लाता है।
भाई दूज पर यमुना जी की आरती
भाई दूज पर यमुनाजी की पूजा करने का भी महत्व है। इस दौरान यमुना जी की आरती का पाठ भी किया जाता है, जो इस प्रकार है –
“ॐ जय यमुना माता, हरि ॐ जय यमुना माता,
जो नहावे फल पावे सुख सुख की दाता।
ॐ पावन श्रीयमुना जल शीतल अगम बहै धारा,
जो जन शरण से कर दिया निस्तारा।”
भाई दूज व्रत कथा
कहते हैं कि भाई दूज के दिन यमराज अपनी बहन यमुनाजी के घर गए थे। यमुनाजी ने उनका स्वागत किया, तिलक किया, और उन्हें विभिन्न पकवान खिलाए। प्रसन्न होकर यमराज ने यमुनाजी को वरदान दिया कि इस दिन बहनें अपने भाइयों का तिलक करेंगी, तो उनके भाइयों की उम्र लंबी होगी और वे सुरक्षित रहेंगे।
भाई दूज परंपराएं
भाई दूज का त्योहार भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। महाराष्ट्र और गोवा में इसे “भाऊ बीज” कहते हैं, उत्तर प्रदेश और बिहार में इसे “भाई दूज” कहा जाता है, जबकि बंगाल में इसे “भाई फोटा” के नाम से जाना जाता है। त्योहार की भावनाएं भले ही एक जैसी हैं, लेकिन मनाने की विधि में थोड़े बहुत अंतर होते हैं।
निष्कर्ष
भाई दूज का पर्व भाई-बहन के पवित्र और स्नेहपूर्ण रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन तिलक, पूजा, और व्रत कथा के माध्यम से हम यमराज और यमुनाजी की पवित्र कथा को याद करते हैं। भाई दूज हमारे सामाजिक और पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और इसके माध्यम से हम भाई-बहन के रिश्ते को और प्रगाढ़ बना सकते हैं।
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